सम्पूर्ण महाभारत
आर्य संस्कृति तथा भारतीय सनातनधर्मका एक महान् ग्रन्थ
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महाभारत (Mahabharata in Hindi) आर्य संस्कृति तथा भारतीय सनातनधर्मका एक महान् ग्रन्थ तथा अमूल्य रत्नोंका अपार भण्डार है। भगवान् वेदव्यास स्वयं कहते हैं कि इस महाभारतमें मैंने वेदोंके रहस्य और विस्तार, उपनिषदोंके सम्पूर्ण सार, इतिहास पुराणोंके उन्मेष और निमेष, चातुर्वर्ण्य के विधान, पुराणों के आशय, ग्रह-नक्षत्र-तारा आदिके परिमाण, न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, दान, पाशुपत (अन्तर्यामीकी महिमा), तीर्थों, पुण्य देशों, नदियों, पर्वतों, वनों तथा समुद्रोंका भी वर्णन किया गया है।
महाभारत को पंचम वेद भी माना जाता है, और हिन्दू धर्म का पवित्र ग्रंथ भागवत गीता महाभारत से ही मिलता है। सम्पूर्ण महाभारत में 1,10,000 श्लोक की संख्या है, और 18 पर्व, 100 उपपर्वो में विभाजित किया गया है।
महाभारत (Mahabharata in Hindi) की कथा अनुसार महर्षि वेदव्यास हिमालय की एक पवित्र गुफा में तपश्या में लीन होकर मन ही मन में महाभारत को शरू से अंत तक की सभी घटनाओ को स्मरण करके महाभारत की रचना करली थी। वेदव्यास ने मन ही मन में महाभारत की रचना तो करली परंतु एक गंभीर समस्या खड़ी हुई की इस महाकाव्य के ज्ञान को साधारण जन तक कैसे पहुंचाया जाये, इस काव्य की जटिल रचना और बड़ी लम्बाई के कारण बहोत कठिन था।
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